राष्ट्रीय

Guru Teg Bahadur

गहन साधना, त्याग और बलिदान की मिसाल है गुरु तेग बहादुर जी का जीवन

प्रकाश पर्व पर विशेष भारतीय इतिहास और संस्कृति में गुरु परंपरा को एक विशिष्ट और पवित्र स्थान प्राप्त है। यह परंपरा न केवल ज्ञान के संवाहक रही है, बल्कि आत्मबल, त्याग, सेवा और परोपकार के सर्वोच्च आदर्शों को भी प्रस्तुत करती आई है। ऐसे ही त्याग और बलिदान के प्रतीक, सिख धर्म के नवें गुरु, […]

राज्य

Savitri Fatima School's annual function

अकबरनगर : विस्थापित बच्चों के लिए बने सावित्री फातिमा स्कूल में हुआ वार्षिक समारोह

व्यक्तित्व के विकास के लिए शिक्षा का होना बेहद जरूरी है। अकबरनगर को सरकार द्वारा ध्वस्त करने के बाद वहां के बच्चों का भविष्य अंधकार में था और उन्हें शिक्षा नहीं मिल पा रही थी। ऐसे में सावित्री फातिमा मोंटसरी स्कूल के माध्यम से बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण कार्य है। हमारी […]

भारत विकास परिषद “आनंदम” द्वारा स्थापना दिवस पर दायित्व ग्रहण समारोह का आयोजन

वाराणसी। भारत विकास परिषद “आनंदम” द्वारा स्थापना दिवस पर दायित्व ग्रहण समारोह का आयोजन होटल रेडियांस कोर्टयार्ड,मोढ़ैला में किया गया। समारोह की माननीय अतिथियों एवं संस्था के पदाधिकारियों द्वारा स्वामी विवेकानंद जी एवम भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण करने के उपरांत दीप प्रज्वलन एवं गणेश बंदना के साथ किया गया। तत्पश्चात इस कार्यक्रम में […]

हस्तक्षेप

Terrorist Attack in Pahalgam

‘उन्हें’ नहीं पता कि ग़ुस्सा किस पर करें!

राजेंद्र शर्मा भाई ये गजब देश है। पहलगाम में आतंकवादी हमला हो गया। अट्ठाईस लोग मारे गए और डेढ़ दर्जन से ज्यादा गंभीर रूप से घायल। नाम पूछकर और धर्म देखकर, गोली मारी। फिर भी पब्लिक है कि ठीक से गुस्सा तक नहीं है। लोग गुस्सा भी हो रहे हैं तो बच-बचकर। और तो और, […]

सामाजिक न्याय के शिल्पकार: बी. पी. मण्डल और भारत में सामाजिक बदलाव की क्रांति

राजेश कुमार यादव भारतीय लोकतंत्र की आत्मा केवल चुनावी प्रक्रिया में नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समता के विचार में निहित है। इस विचार को भारतीय संविधान में तो स्थान मिला, लेकिन इसके धरातलीय कार्यान्वयन में जिन व्यक्तित्वों ने निर्णायक भूमिका निभाई, उनमें बिन्देश्वरी प्रसाद मण्डल (बी. पी. मण्डल) का नाम सर्वोपरि है। वे एक […]

बाबा साहब, भारतीय संविधान और मौजूदा खतरे

बादल सरोज डॉ. अम्बेडकर संविधान निर्माता माने जाते हैं। निस्संदेह वे ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन थे और विराट बहुमत से चुने गए थे। संविधान में उनकी विजन – नजरिये – का महत्वपूर्ण योगदान है। किन्तु उन्हें यहीं तक सीमित रखना उनके वास्तविक रूप को छुपाने की साजिश का हिस्सा बनना होगा। गाँव-गाँव में डॉ. अम्बेडकर […]

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साँचिया

साँचिया सिर्फ एक समाचार पोर्टल नहीं बल्कि एक ज़िम्मेदारी है – सच की ज़िम्मेदारी। जब मीडिया का बड़ा हिस्सा सत्ता के साथ खड़ा हो और मीडिया की बहसें मुद्दों से भटककर मनोरंजन में तब्दील हो रही हों तब साँचिया पूरी जिम्मेदारी से उस समाज की आवाज बनने का प्रयास कर रहा है जिसे आजादी के गलियारे में भी अपमान और वंचना का शिकार होना पड़ रहा है। तब साँचिया अपने पाठकों को उस सच्चाई से जोड़ता है जो अक्सर जानबूझकर छुपा ली जाती है।

हमारी पत्रकारिता का सरोकार उन आवाज़ों से है जिन्हें बार-बार अनसुना किया गया है। हमारी पत्रकारिता का सरोकार उन सपनों से है जो ग्रामीण भारत की धूल भरी सड़कों पर बिखरे हैं, जो किसान की सूनी आँखों में हैं,  जो श्रमिक के पसीने में हैं, और जो उस आम नागरिक के सवालों में हैं, जिनका कोई जवाब नहीं देता।

हम मानते हैं कि  सच्ची पत्रकारिता वही है जो सत्ता से सवाल करे,  जो समाज के हर हिस्से को अपने हक की आवाज बुलंद करने का मंच बने और सच्चाई को विकृत करने के बजाय, उसे गंभीर सरोकार के साथ सामने लाए। आज जब मुख्यधारा की मीडिया के लिए “सच” एक उत्पाद बन गया है, तब साँचिया सच को आवाज़ देने का मंच बनना चाहता है।

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अगर आप मानते हैं कि पत्रकारिता को जनता की आवाज़ बनना चाहिए,
अगर आप चाहते हैं कि मीडिया समाज के दबे-कुचले वर्गों का प्रतिनिधि बने,
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