साँचिया सिर्फ एक समाचार पोर्टल नहीं बल्कि एक ज़िम्मेदारी है – सच की ज़िम्मेदारी। जब मीडिया का बड़ा हिस्सा सत्ता के साथ खड़ा हो और मीडिया की बहसें मुद्दों से भटककर मनोरंजन में तब्दील हो रही हों तब साँचिया पूरी जिम्मेदारी से उस समाज की आवाज बनने का प्रयास कर रहा है जिसे आजादी के गलियारे में भी अपमान और वंचना का शिकार होना पड़ रहा है। तब साँचिया अपने पाठकों को उस सच्चाई से जोड़ता है जो अक्सर जानबूझकर छुपा ली जाती है।
हमारी पत्रकारिता का सरोकार उन आवाज़ों से है जिन्हें बार-बार अनसुना किया गया है। हमारी पत्रकारिता का सरोकार उन सपनों से है जो ग्रामीण भारत की धूल भरी सड़कों पर बिखरे हैं, जो किसान की सूनी आँखों में हैं, जो श्रमिक के पसीने में हैं, और जो उस आम नागरिक के सवालों में हैं, जिनका कोई जवाब नहीं देता।
हम मानते हैं कि सच्ची पत्रकारिता वही है जो सत्ता से सवाल करे, जो समाज के हर हिस्से को अपने हक की आवाज बुलंद करने का मंच बने और सच्चाई को विकृत करने के बजाय, उसे गंभीर सरोकार के साथ सामने लाए। आज जब मुख्यधारा की मीडिया के लिए “सच” एक उत्पाद बन गया है, तब साँचिया सच को आवाज़ देने का मंच बनना चाहता है।
आग्रह
अगर आप मानते हैं कि पत्रकारिता को जनता की आवाज़ बनना चाहिए, अगर आप चाहते हैं कि मीडिया समाज के दबे-कुचले वर्गों का प्रतिनिधि बने, तो “साँचिया” के साथ आइए। साँचिया के साथ मिलकर एक ऐसी पत्रकारिता को मज़बूत कीजिए जो न सिर्फ खबर दिखाए, बल्कि सच कहे – बिना किसी डर या दबाव के।
कुमार विजय -प्रधान संपादक साँचिया सच की आवाज