सुप्रीम कोर्ट असंवेदनशील जजों की सिर्फ़ निंदा न करे उनके खिलाफ़ कार्यवाई भी करे- शाहनवाज़ आलम

राजनीति राष्ट्रीय

नयी दिल्ली। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने  सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज संजय कुमार सिंह के रेप पीड़िता को ही अपनी स्थिति के लिए ज़िम्मेदार बताने वाली टिप्पणी की निंदा करने का स्वागत करते हुए उनके खिलाफ़ कार्यवाई भी करने की मांग की है।

शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि पिछले कुछ महीनों में यह पांचवी घटना है जब सुप्रीम कोर्ट या उपरी अदालत को इलाहाबाद हाईकोर्ट के किसी जज के फैसले या उसकी मौखिक टिप्पणी की निंदा करनी पड़ी है। सबसे पहले बरेली के जिला जज रवि कुमार दिवाकर द्वारा अपने एक फैसले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ़ करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए उनकी टिप्पणी को फैसले से हटवा दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रोहित रंजन अग्रवाल की ईसाइयों के खिलाफ़ साम्प्रदायिक टिप्पणी को फैसले से हटाने का आदेश दिया। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में मुसलमानों के खिलाफ़ साम्प्रदायिक टिप्पणी पर हाईकोर्ट के जज शेखर यादव की आलोचना की और उनके खिलाफ़ कॉलेजीयम ने तीन सदस्यीय जाँच कमेटी बनाई जिसका फैसला आज तक नहीं आया। वहीं रेप पर ही राम मनोहर प्रसाद मिश्रा के फैसले और उनकी टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट ने आपत्तिजनक बताते हुए उसे फैसले से निकलवा दिया।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि देश के किसी भी अन्य हाईकोर्ट में ऐसे जज नहीं हैं जिनकी टिप्पणियों से ख़ुद न्यायिक व्यवस्था को बार-बार शर्मिंदा होना पड़ रहा हो। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपी दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा को कॉलेजीयम द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिए जाने से उत्तर प्रदेश के आम लोगों में न्यायालय की छवि खराब हुई है। कमज़ोर तबकों और विशेष तौर से रेप पीड़िताओं का न्यायालय से भरोसा खत्म होता जा रहा है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अगर सिर्फ़ मौखिक टिप्पणी करके या आपत्तिजनक टिप्पणीयों को फैसलों से निकलवा कर ही शांत बैठ जाएगा तो ऐसे जजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्हें पद से हटाने या डिमोशन की कार्यवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही ऐसे जजों की आय की भी जांच करानी चाहिए।

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