राष्ट्रीय

“गांधी का कोई विकल्प नहीं है, सबको उसी रास्ते पर आना होगा” — मनीषा बनर्जी

‘एक कदम गांधी के साथ’आंदोलन का छठवां दिन वाराणसी राजघाट से दिल्ली राजघाट तक पदयात्रा ‘एक कदम गांधी पदयात्रा चौथे दिन दोपहर में भदोही पहुंची। यह जिला अमेरिका द्वारा ट्रंप प्रशासन के तहत लगाए गए टैरिफ से भारत में सबसे अधिक सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में उभरकर सामने आया है। भारत के प्रमुख हस्तनिर्मित कालीन निर्यात […]

राज्य

सारनाथ में होगा बहुजन स्वराज पंचायत का आयोजन

विद्या आश्रम, सारनाथ में 7,8,9 अक्तूबर 2025 को बहुजन स्वराज पंचायत का आयोजन किया जाना है। इसका मकसद दुनिया भर में लोकविद्या-समाज के लोग यानि किसान, कारीगर, आदिवासी समाज, महिलाएं, लोककलाकार और छोटी दुकानदारी अथवा सेवाकार्य करने वाले लोगों में अपने हक के प्रति जागरूकता पैदा करना। कुछ दिन पहले ही विद्या आश्रम, सारनाथ में […]

आजमगढ़ : किसानों की मांग, नहरों में तत्काल पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा जाए

किसान नेता राजीव यादव ने निजामाबाद क्षेत्र के मंझारी, पंडिताइन की पुलिया होते हुए सोफीपुर जा रही नहर में तत्काल पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ने की मांग की है। उनका कहना है कि तत्काल पानी नहीं छोड़ा गया तो किसानों की सारी फसल बर्बाद हो जाएगी। सोशलिस्ट किसान सभा के महासचिव राजीव यादव ने कहा […]

हस्तक्षेप

गुलशन यादव-सामजिक न्याय का सिपाही या इनामी बदमाश

गुलशन यादव को इनामी अपराधी घोषित किए जाने का फैसला प्रशासनिक कार्रवाई से ज़्यादा सत्ता और राजा भैया की साज़िश का नतीजा प्रतीत होता है, क्योंकि जिन परिस्थितियों में यह निर्णय लिया गया, वे साफ़ तौर पर लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को रास्ते से हटाने की परंपरा को दोहराते हैं। गुलशन यादव की पहचान क्षेत्र […]

सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी

राजीव यादव गीतकार शैलेंद्र की जयंती पर विशेष जिन्दगी के मायने जिसने आखों से देख अपने जेहन और कलम से अपने गीतों में उकेरा एक ऐसा ही नाम शैलन्द्र का है। ‘तू जि़न्दा है तो जि़न्दगी की जीत में यकीन कर, अगर कहीं है तो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर’ 1950 में लिखे इस […]

हिंदुत्व के दर्शन में ही समाहित है नस्लीय और लैंगिक घृणा

संजय पराते संघी गिरोह का हिटलरी राष्ट्रवाद! हमारे राष्ट्रगान के रचयिता कविवर रविंद्रनाथ ठाकुर (टैगोर) ने एक बार कहा था — “नेता जब अपने दल का झंडा पकड़कर गांव और शहर की गलियों में घुस नहीं पाता, तब अपने हाथों में राष्ट्र का झंडा पकड़ लेता है, ताकि जनता उसे ही राष्ट्र समझने की गलती […]

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साँचिया

साँचिया सिर्फ एक समाचार पोर्टल नहीं बल्कि एक ज़िम्मेदारी है – सच की ज़िम्मेदारी। जब मीडिया का बड़ा हिस्सा सत्ता के साथ खड़ा हो और मीडिया की बहसें मुद्दों से भटककर मनोरंजन में तब्दील हो रही हों तब साँचिया पूरी जिम्मेदारी से उस समाज की आवाज बनने का प्रयास कर रहा है जिसे आजादी के गलियारे में भी अपमान और वंचना का शिकार होना पड़ रहा है। तब साँचिया अपने पाठकों को उस सच्चाई से जोड़ता है जो अक्सर जानबूझकर छुपा ली जाती है।

हमारी पत्रकारिता का सरोकार उन आवाज़ों से है जिन्हें बार-बार अनसुना किया गया है। हमारी पत्रकारिता का सरोकार उन सपनों से है जो ग्रामीण भारत की धूल भरी सड़कों पर बिखरे हैं, जो किसान की सूनी आँखों में हैं,  जो श्रमिक के पसीने में हैं, और जो उस आम नागरिक के सवालों में हैं, जिनका कोई जवाब नहीं देता।

हम मानते हैं कि  सच्ची पत्रकारिता वही है जो सत्ता से सवाल करे,  जो समाज के हर हिस्से को अपने हक की आवाज बुलंद करने का मंच बने और सच्चाई को विकृत करने के बजाय, उसे गंभीर सरोकार के साथ सामने लाए। आज जब मुख्यधारा की मीडिया के लिए “सच” एक उत्पाद बन गया है, तब साँचिया सच को आवाज़ देने का मंच बनना चाहता है।

आग्रह

अगर आप मानते हैं कि पत्रकारिता को जनता की आवाज़ बनना चाहिए,
अगर आप चाहते हैं कि मीडिया समाज के दबे-कुचले वर्गों का प्रतिनिधि बने,
तो “साँचिया” के साथ आइए।

साँचिया के साथ मिलकर एक ऐसी पत्रकारिता को मज़बूत कीजिए जो न सिर्फ खबर दिखाए, बल्कि सच कहे – बिना किसी डर या दबाव के।

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