कृष्ण कन्हैया पाल ने कहा कि यह संविधान, लोकतंत्र और वंचित समाज की गरिमा की रक्षा का प्रश्न है
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी की छवि धूमिल करने और समाज में वैमनस्य फैलाने की सुनियोजित साजिश सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म “X” पर उजागर हुई है। दिलीप कुमार सिंह (@Dilippu24388061) और अरुण यादव (@Arunkosli) द्वारा जानबूझकर फर्जी, मॉर्फ़्ड और भ्रामक तस्वीरें प्रसारित की गईं, जिनका उद्देश्य पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समाज के प्रति नफरत फैलाना था।
उक्त मामले में सबसे पहले समाजवादी अधिवक्ता सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्ण कन्हैया पाल ने थाना गोमती नगर, लखनऊ में आवेदन दिया। वहाँ कोई कार्रवाई न होने पर पुलिस आयुक्त, लखनऊ को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। फिर भी न्याय न मिलने पर अंततः माननीय विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (कस्टम), लखनऊ की शरण ली।
माननीय न्यायालय ने आदेश दिया कि आरोप प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होते हैं।”अभियुक्तगण का कृत्य भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 147 (दंगा), 196 (विद्वेष फैलाना), 197 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना), 353 (लोक सेवक के कार्य में बाधा), 505 (अफवाह एवं असत्य कथन से वैमनस्य फैलाना), साथ ही 67 IT Act व आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 1932,7 – साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाले कृत्यों पर कड़ी सज़ा आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम के तहत संज्ञेय अपराध है।”अतः पुलिस को निर्देशित किया जाता है कि अभियुक्तगण के विरुद्ध FIR दर्ज कर विवेचना अनिवार्य रूप से की जाए।”

न्यायालय के आदेश पर थाना गोमती नगर, लखनऊ में FIR दर्ज हुई और विवेचना की जिम्मेदारी निरीक्षक विनोद कुमार सिंह को सौंपी गई।
समाजवादी अधिवक्ता सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्ण कन्हैया पाल ने कहा कि यह केवल अखिलेश यादव जी की छवि की रक्षा का सवाल नहीं, बल्कि संविधान, लोकतंत्र और वंचित समाज की गरिमा की रक्षा का भी प्रश्न है। समाजवादी अधिवक्ता सभा यह साफ कर देना चाहती है कि लोकतंत्र और सामाजिक सौहार्द्र को तोड़ने वालों को किसी भी कीमत पर बख़्शा नहीं जाएगा।
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