इसे कहते हैं सेना को युद्ध की भट्टी में झोंकना!

संजय पराते जब बिना किसी सुविचारित नीति के चुनाव को नजर में रखकर युद्धोन्माद फैलाया जाता है और फिर जनता को संतुष्ट करने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को मजबूत करने के लिए युद्ध की ‘रचना’ की जाती है, तो उसका वही हश्र होता है, जो कल हमें दिखा। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पूरे देश […]

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people becoming victims of terrorism

हुए तुम दोस्त जिसके, दुश्मन उसका आसमाँ क्यूँ हो!!

बादल सरोज पिछले दस-आठ दिन जितने विरले घट-अघट इस देश और दुनिया ने देखे हैं, उतने इससे पहले कम ही देखे गए हैं, एक के बाद एक साथ तो पहले कभी भी नहीं देखे। पहला अघट 22 अप्रैल को भारत का स्विटज़रलैंड बताये जाने वाले कश्मीर के पहलगाम में घटा, जब मुट्ठी भर आतंकी आये, […]

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