जो रगों में ही न दौड़ा, तो फिर सिंदूर क्या है ?
राजनैतिक व्यंग्य राजेंद्र शर्मा चचा गालिब से दोहरी माफी के साथ। एक माफी तो उनके शेर की पैरोडी करने के लिए। दूसरी माफी, पैरोडी में भी शेर की टांग तोड़ने के लिए। कहां चचा का रगों में दौड़ने-फिरने का कायल नहीं होना और लहू के आंख से टपकने की डिमांड करना और कहां हमारा सिंदूर […]
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