पुरस्कार : हिन्दी कहानी जयशंकर प्रसाद
आर्द्रा नक्षत्र आकाश में काले काले बादलों की घूमड़, जिसमें देव-दुंदुभी का गंभीर घोष । प्राची के एक निरभ्र कोने से स्वर्ण पुरुष झांकने लगा था। देखने लगा महाराज की सवारी ।शैलमाला के अंचल में समतल उर्वरा भूमि से सोंधी बास उठ रही थी । नगर-तोरण से जयघोष हुआ, भीड़ में गजराज का चामधारी शुण्ड […]
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