हिंदुत्व के दर्शन में ही समाहित है नस्लीय और लैंगिक घृणा

संजय पराते संघी गिरोह का हिटलरी राष्ट्रवाद! हमारे राष्ट्रगान के रचयिता कविवर रविंद्रनाथ ठाकुर (टैगोर) ने एक बार कहा था — “नेता जब अपने दल का झंडा पकड़कर गांव और शहर की गलियों में घुस नहीं पाता, तब अपने हाथों में राष्ट्र का झंडा पकड़ लेता है, ताकि जनता उसे ही राष्ट्र समझने की गलती […]

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