An attempt to fragment the Ganga-Jamuni culture of Indian democracy.

आभासीय कुहासा और अयोध्या कैंट के बंदर

बादल सरोज अक्सर जो भान होता है, वह जरूरी नहीं कि असली प्रकाश या दीप्ति या उसका प्रत्यावर्तन हो। वह योजना के साथ बनाया, दिखाया, बताया ‘उजाला’ भी हो सकता है। इन दिनों खासकर संचार क्रांति के बाद से इस तरह के निर्मित, नियंत्रित, निराधार और पूरी तरह आभासीय अहसास – परसेप्सन – बनाने की […]

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