भाजपा सरकार में न्यायपालिका अपनी स्वायत्तता खो चुकी है : शाहनवाज़ आलम

राजनीति राष्ट्रीय

नई दिल्ली। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान को मज़ाक बताया है जिसमें उन्होंने अगले पांच साल के अंदर देश में ऐसी व्यवस्था लाने की बात कही थी जिसमें एफआईआर से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से तीन साल के अंदर न्याया मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में सबसे ज़्यादा संकट में न्याय और न्यायपालिका ही हैं जहां विचारधारा और धार्मिक पहचान के आधार पर ज़मानत और सज़ा मिल रही है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जब से भाजपा सत्ता में आयी है उसने न्यायपालिका के एक हिस्से को अपने सांप्रदायिक और कॉर्पोरेट परस्त एजेंडे से या तो सहमत होने पर तैयार कर लिया है या बाधा बनने वाले जजों को जस्टिस लोया की स्थिति में पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ख़ुद तड़ीपार रहे हैं और किस तरह वो फ़र्ज़ी मुठभेड़ों के मुकदमों से बरी हुए यह भी किसी से छुपा नहीं है। सबसे अहम कि वो जिस मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के सामने यह बोल रहे थे वो ख़ुद ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपने खिलाफ़ दर्ज दंगे, आगजनी और नफरती भाषण जैसे संगीन मुकदमों से ख़ुद को ही बरी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि अमित शाह जी जिस तरह की न्यायिक व्यवस्था अगले पांच साल में लागू करने की बात कर रहे हैं अगर वैसी न्यायिक व्यवस्था रहती तो अमित शाह जी और योगी जी दोनों अपने उचित जगह पर होते।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार जिस तरह साम्प्रदायिक जज शेखर यादव को बचा रही है और सुपर कोर्ट मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह के विवादित बयान पर मध्य प्रदेश हाइकोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की गई कार्रवाई को रुकवा दे रहा है, वो साबित करता है कि मोदी सरकार में न्यायपालिका अपनी स्वायत्तता खो चुकी है। जिसकी पुनरबहाली के लिए कांग्रेस का सत्ता में आना ज़रूरी है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी सरकार में मुख्य न्यायाधीश और कॉलेजीयम के स्तर पर आरएसएस से जुड़े अयोग्य व्यक्तियों को न्यायालय में घुसाने का काम किया गया जिन्होंने भाजपा सरकार और आरएसएस के एजेंडे के पक्ष में फैसले दीए। स्थिति इतनी भयानक हो गई कि जज लोग ख़ुद स्वीकार करने लगे कि वो सीधे भगवान से ही पूछ कर फैसले देने लगे हैं। तो वहीं एक मौजूदा सुप्रीम कोर्ट जज पंकज मित्तल तो जम्मू कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सेकुलर शब्द की मौजूदगी को ही कलंक बताने लगे।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अमित शाह को हरेन पंड्या को न्याय दिलवाने की चिंता करनी चाहिए जिनका परिवार पिछले 23 साल से न्याय की मांग कर रहा है।

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