प्रतापगढ़। जाने माने समाजवादी नेता और शिक्षक स्व. राम सुन्दर शास्त्री जी की प्रथम पुण्य तिथि पर हजारों की संख्या में उपस्थित होकर लोगों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने सामाजिक क्षेत्र में किए गए उनके योगदान को याद किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में राजनीतिक-सामाजिक लोग और समाजवादी विचारक उपस्थित रहे। श्राद्धंजलि सभा की अध्यक्षता प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. महेश विक्रम ने की।
बाघराय सुंदरगंज के सरस्वती गेस्ट हाउस में आयोजित समारोह में बोलते हुए पूर्व प्राचार्य राममूर्ति यादव ने कहा कि, राम सुन्दर शास्त्री जी पर ना सिर्फ मुझे गर्व है बल्कि हर समाजवादी को है। उन्होंने इस जिले से सामंतवाद की जड़ों को कमजोर करने का कार्य किया। वह जब भी कहीं किसी पर अत्याचार होता तो उसके खिलाफ आंदोलन के लिए निकल पड़ते थे। राम मूर्ति यादव ने शास्त्री जी के जीवन के तमाम पृष्ठों से भी लोगों को रूबरू कराया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के इतिहास विभाग के प्रोफ़ेसर महेश विक्रम सिंह ने कहा कि हालाँकि मैं कभी स्व राम सुन्दर शास्त्री जी से मिला नहीं हूँ लेकिन इस विशाल समूह को देखकर उनकी लोकप्रियता और समाज में दिए गए उनके योगदान को आसानी से समझा जा सकता है।

कार्यक्रम में बोलते हुए कौशाम्बी के सांसद पुष्पेंद्र सरोज ने कहा हालाँकि मैं कभी बाबू जी से नहीं मिला लेकिन इनके कार्यों और समाजवाद को आगे ले जाने में इनके संघर्षों और योगदान की चर्चा मैं लोगों से हमेशा सुनता रहता था। ये समाजवाद के ऐसे प्रहरी थे जिन्होंने प्रतापगढ़ की सरजमीं से सामंतवाद को ख़त्म करने में अग्रणी भूमिका निभाई।
विश्व नारी अभ्युदय संगठन की अध्यक्ष रीता जायसवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्व. राम सुन्दर शास्त्री जी मानवता की ऐसी प्रतिमूर्ति थे जिनके अंदर सिर्फ और सिर्फ प्रेम ही था। किसी पर भी वे जुल्म या अत्याचार होते नहीं सह सकते थे। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है। आज समाज को ऐसे लोगों की बहुत जरुरत है। ऐसे लोगों से ही समाज का विकास होता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद पांडेय ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज समाज में अपने लिए जीने वाले बहुत मिल जायेंगे लेकिन समाज के लिए जो जीता है उसी का नाम राम सुन्दर शास्त्री है। वे जीवन पर्यन्त समाज के पीड़ितों की लड़ाई लड़ते रहे। समाज में उनके द्वारा किए गए कार्यों को सदियों याद रखा जायेगा।
शिक्षक सभा के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर संजय सोनकर ने अपने उद्बोधन में कहा हालांकि मैं बाबूजी से कभी मिला नहीं लेकिन उनके द्वारा किए गए कामों से पूरी तरह से वाकिफ हूं। मैं चाहता हूं कि आने वाली पीढ़ी उनके नेक कार्यों को आगे बढ़ाए. उनके लिए यही सबसे सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इस आयोजन में कीर्तिशेष राम सुंदर शास्त्री जी के कृतित्व और व्यक्तित्व से परिचय कराती हुई एक स्मारिका ‘स्मृतियों में पिता’ का भी विमोचन किया गया। सांचिया द्वारा प्रकाशित स्मारिका का सम्पादन शास्त्री जी के पुत्र और वरिष्ठ पत्रकार कुमार विजय ने किया है। स्मारिका में शास्त्री से जुड़े संस्मरण के साथ लेख, गीत, कविता और कहानी का भी समायोजन बहुत ही सार्थक रूप से किया गया है।
पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष प्रमोद मौर्य, समाजवादी पार्टी के जिला महासचिव अब्दुल कादिर जिलानी, समाजवादी अधिवक्ता सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रिपु सूदन यादव, समाजवादी शिक्षक सभा के राष्ट्रीय सचिव रंजीत यादव, राम सिंंह यादव, राम खेलावन यादव, शिवधन यादव, सत्य नारयन यादव, राजेंद्र यादव, पूर्व विधान सभा अध्यक्ष बाबा गंज रमेश यादव, रामलगन यादव’आशीष’, ओम प्र्काश यादव, राम अवध काका, नोखे लाल यादव, राम दुलारे यादव, संतोष पांडेय, प्रदीप सरोज, जिला पंचायत सद्स्य अनुज सोनकर, जिला पंचायत सद्स्य राम आसरे सरोज, सुरेश यादव, विवेक यादव, राजेश यादव समेत बडी संख्या में लोगो ने शास्त्री जी के प्रति शब्दांजलि व्यक्त की और उनके दिखाये रास्ते पर चलने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन कुमार विजय ने तथा धन्यवाद ज्ञापन जय सिंंह यादव ने किया।

राहुल यादव ‘साँचिया – सच की आवाज’ के सह संपादक हैं।

