अपनी जनता पार्टी के मुखिया स्वामी प्रसाद मौर्य ने सांचिया सच की आवाज के संपादक कुमार विजय के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति पर खुलकर बातचीत की। बातचीत के खास अंश…
उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और अपनी जनता पार्टी के मुखिया स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि भाजपा में जाना उनके राजनीतिक कैरियर की सबसे बड़ी भूल थी। इस बात का उन्हें हमेशा पछतावा रहेगा।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जब तक मान्यवर कांशीराम थे तब तक बसपा में डॉ भीमराव अंबेडकर के मिशन और कांशीराम की सोशल इंजीनियरिंग ही पार्टी का आधार थी। लेकिन कांशीराम के निधन के बाद सुश्री मायावती जी ने कांशीराम के विचारों के उलट काम करना शुरू कर दिया। कांशीराम ने एक नारा दिया दिया था ‘जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी।’ लेकिन मायावती अभी भी उस नारे के उलट काम करती जा रही हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा कांशीराम के न रहने के बाद मायावती जी ने कांशीराम जी के नारे के विपरीत काम करना शुरू कर दिया। कांशीराम जी के नारे ‘जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी’ के स्थान पर जिसकी जितनी तैयारी उसकी उतनी भागीदारी का नारा ईजाद कीं।
मायावती के फार्मूले में कहीं भी पिछड़ा, दलित और आदिवासी था ही नहीं। मायावती ने तो बाबा साहब और कांशीराम जी के सोशल मूवमेंट को ही पलटकर रख दिया।
यही नहीं, इसके बाद मायावती जी का पुराने कार्यकर्ताओं के प्रति नजरिया बदलने लगा। बाहर से आने वाले थैलीशाह और जमीनी कार्यकर्ताओं को एक तराजू में तौला जाने लगा। इसका परिणाम यह हुआ कि पुराने जमीनी कार्यकर्ता पार्टी छोड़ने लगे। उसी का परिणाम आज सामने है कि किसी समय प्रदेश में सरकार बनाने वाली मायावती जी के आज एक विधायक के लिए तरस रहीं हैं।
भाजपा में आपके जाने के बाद आपके ऊपर काफी हमले हुए। आप इसपर क्या कहेंगे ? सवाल के जवाब में स्वामी प्रसाद मौर्य बोले भाजपा में जाना मेरी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल थी, लेकिन भाजपा में रहते हुए भी मैंने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। भाजपा में रहने के दौरान मुझे श्रम मंत्रालय मिला हुआ था जो कि बाबा साहब भीम राव अंबेडकर को कभी मिला था। जिस समय मैंने श्रम विभाग संभाला उस समय श्रम विभाग में 34 लाख मजदूर पंजीकृत थे और जब मैंने छोड़ा उस समय एक करोड़ 32 लाख मजदूरों का पंजीकरण हो चुका था । इनमें से ज़्यादातर पिछड़े, दलित थे।
आपने भाजपा क्यू छोड़ी ? सवाल के जवाब में स्वामी प्रसाद मौर्य कहते हैं उस समय 69 हजार शिक्षक भर्ती में 18 हजार पद सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को दे दिया गया। जिसका मेरा सरकार से विरोध चल ही रहा था कि उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती चल रही थी। उसमें ओबीसी, एससी और एसटी के पदों को सामान्य से यह कहते हुए भर दिया गया कि इसमें छात्र ही नहीं मिले। कैबिनेट की बैठक में मैंने इसका विरोध किया और मैंने इसकी जांच की और मुख्यमंत्री के सामने यह सवाल किया कि क्या पदों को भरने से पहले कोई विज्ञापन लाया गया । कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इस पूरी भर्ती को रद्द करने के बजाय मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को डांटते हुए कि दुबारा ऐसी गलती ना हो इस पूरे मामले को क्लीनचिट दे दिया। इसके बाद मैंने बीजेपी को छोड़ने का फैसला किया।
वर्तमान सरकार हर स्तर पर फेल है। किसानों फसल छुट्टा एवं आवारा पशु खा जा रहे हैं। रात भर किसान अपनी फसलों की रखवाली करने के लिए मजबूर है। किसानों की आय का फसलों का समर्थन मूल्य अभी तक सरकार ने तय नहीं किया है। आज किसान यूरिया, डाई, बीज खरीदने के लिए पुलिस की लाठियाँ खा रहा है। किसान अन्नदाता है लेकिन वही आज दर दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर है।
सरकार की सोच ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा से दूर करने की है। उसी के परिणाम स्वरूप 27 हजार से अधिक स्कूलों को बंद करने की थी लेकिन अपनी जनता पार्टी के भरी विरोध के चलते सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक सवाल के जवाब में कहा आज उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो चुकी है। प्रदेश में कानून नाम की कोई व्यवस्था नहीं है। पूरे भारत में उत्तर प्रदेश हत्या, बलात्कार, अपहरण, दलित उत्पीड़न और महिला उत्पीड़न में नंबर एक पर है।
स्वामी प्रसाद मौर्य आगे बोले उत्तर प्रदेश में जाति और धर्म के नाम पर बुलडोजर चलाया जा रहा है जबकि बड़े बड़े माफिया सत्ता संरक्षण में घूम रहे हैं। ऐसी स्थिति में कानून का राज नहीं दिख सकता।

राहुल यादव ‘साँचिया – सच की आवाज’ के सह संपादक हैं।

