पदयात्रियों ने प्रयागराज की गंगा-जमुनी तहज़ीब और साझी विरासत को करीब से समझा
वाराणसी राजघाट से दिल्ली राजघाट तक पदयात्रा
प्रयागराज। आज पदयात्रा अपने आठवें दिन प्रातः आठ बजे अलोपीबाग से आरंभ हुई। पदयात्रा का पहला पड़ाव मदरसा हज़रत शाह मोहिब उल्लाह, प्रयागराज में था। यहाँ सभी पदयात्रियों के लिए सुबह के नाश्ते की व्यवस्था भी की गई थी। इसके बाद एक छोटी सी सभा का आयोजन हुआ। मदरसे से जुड़े मोहीन भाई ने अपने वक्तव्य में कहा कि मौजूदा दौर में मोहब्बत, भाईचारे और आपसी सौहार्द की भावना बेहद आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि कुंभ मेले में भी हमने बंधुत्व का परिचय देते हुए सभी का भरपूर सहयोग किया। यह वही पावन भूमि है जहाँ महात्मा गांधी और पंडित नेहरू जैसे महान नेता पधार चुके हैं। यहाँ हिंदू-मुस्लिम भाईचारा केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा और विरासत है।
प्रयागराज के ऐतिहासिक स्मारकों से रूबरू हुए पदयात्री
प्रस्तुत होते हुए चौक शहीद नीम की ओर बढ़ी, जहाँ पदयात्रा के प्रतिभागियों को इस ऐतिहासिक स्थल के प्रस्तुत होते हुए चौक शहीद नीम की ओर बढ़ी, के महत्व के बारे में बताया गया। वर्ष 1857 के विद्रोह के दौरान अनेक स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों द्वारा इसी नीम के वृक्ष पर फाँसी दी गई थी। इस स्मृति को नमन करते हुए वृक्ष के नीचे श्रद्धांजलि अर्पित की गई और यह संकल्प लिया गया कि जैसे हमारे पूर्वजों ने कभी गुलामी स्वीकार नहीं की, वैसे ही आज भी हम तानाशाही को स्वीकार नहीं करेंगे और उसके विरुद्ध संघर्ष करते रहेंगे।
महत्व के बारे में बताया गया। वर्ष 1857 के विद्रोह के दौरान अनेक स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों द्वारा इसी नीम के वृक्ष पर फाँसी दी गई थी। इस स्मृति को नमन करते हुए वृक्ष के नीचे श्रद्धांजलि अर्पित की गई और यह संकल्प लिया गया कि जैसे हमारे पूर्वजों ने कभी गुलामी स्वीकार नहीं की, वैसे ही आज भी हम तानाशाही को स्वीकार नहीं करेंगे और उसके विरुद्ध संघर्ष करते रहेंगे।
इसके पश्चात यात्रा खुसरो बाग पहुँची। इस अवसर पर खुसरो बाग के ऐतिहासिक महत्व को साझा किया गया। खुसरो बाग, सम्राट जहाँगीर के पुत्र खुसरो मिर्ज़ा की समाधि का स्थल है। खुसरो, जिन पर अकबर की विशेष दृष्टि उत्तराधिकारी के रूप में थी, बाद में अपने ही पिता जहाँगीर द्वारा कैद किए गए और अंततः शाहजहाँ (खुर्रम) द्वारा बंदी अवस्था में मारे गए। 1857 के विद्रोह के समय मौलवी लियाकत अली ने इसे भारतीय क्रांतिकारियों का मुख्यालय बनाया था, परंतु अंग्रेजों ने शीघ्र ही इस विद्रोह को दबा दिया।
इसके उपरांत वहाँ उपस्थित स्कूल के बच्चों के साथ महात्मा गांधी के विचारों पर संवाद हुआ तथा गांधीजी की मौजूदा प्रासंगिकता पर चर्चा की गई। इसके बाद कुछ गीत भी गाए गए।
इसके बाद पदयात्रा डॉ. आंबेडकर चौराहा और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समीप पहुँची, जहाँ उपस्थित वकीलों ने सभी पदयात्रियों का स्वागत किया। यहाँ सभी पदयात्रियों ने संविधान की रक्षा और लोकतंत्र के मूल्यों की पुनर्स्थापना के लिए नारे लगाए।
सर्व सेवा संघ, राजघाट परिसर का अवैध कब्जा दरअसल गांधी विचारों को खत्म करने की साजिश है” – इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समीप ही एक जनसभा का आयोजन किया गया, जिसमें पदयात्रियों के अलावा बड़ी संख्या में प्रयागराज के विभिन्न जन संगठनों के कार्यकर्ता, समाजसेवी और पत्रकार शामिल हुए। इस अवसर पर कई वकीलों ने संबोधन दिए। वक्ताओं ने सर्व सेवा संघ परिसर, वाराणसी पर सरकार द्वारा किए गए अवैध कब्जे की जोरदार निंदा की। उन्होंने कहा कि राजघाट परिसर से सर्वोदय प्रकाशन के माध्यम से गांधी विचारों का देशभर में प्रसार हो रहा था, और सरकार गांधी विचारों को खत्म करना चाहती है। उन्होंने सर्व सेवा संघ के संघर्ष को अपना भरपूर सहयोग देने का वादा किया।
वक्ताओं ने यह भी कहा कि “नए भारत” के नाम पर दरअसल उस “पुराने भारत” को फिर से लाया जा रहा है, जो जाति, धर्म और संप्रदाय के नाम पर बँटा हुआ था। यह वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती है कि हम इस विभाजनकारी राजनीति को पहचानें और उसका दृढ़तापूर्वक विरोध करें। इसके पश्चात ‘सर्वोदय जगत’ पत्रिका का पुनः लोकार्पण हुआ।
“धर्मनिरपेक्षता के बिना लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता” – चंदन पाल
भोजन और विश्राम के बाद यात्रा पुनः प्रारंभ हुई और गवर्नमेंट प्रेस चौराहा, दयानंद मार्ग, धोबी घाट चौराहा, सुभाष चौराहा होते हुए शाम को शहीदवाल हनुमान मंदिर चौराहा और चंद्रशेखर आज़ाद पार्क पहुँची। हर पड़ाव पर शहीदों की मूर्तियों के समीप पहुँचकर पदयात्रियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
आज़ाद पार्क के समीप नाज़रेथ चेरिटेबल हॉस्पिटल द्वारा पदयात्रा के समर्थन में एक सभा का आयोजन भी किया गया। इस दौरान सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता के बिना लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता।

यात्रा के कई पड़ावों पर स्थानीय लोगों द्वारा पदयात्रियों का जोरदार स्वागत किया गया तथा जलपान की व्यवस्था भी की गई।
बालसन चौराहा के निकट गांधी प्रतिमा पर पदयात्रियों द्वारा माल्यार्पण किया गया। इसके बाद पदयात्रा आनंद भवन होते हुए अंत में बैंक रोड चौराहा पहुँची, जहाँ यात्रियों के रात्रि विश्राम की व्यवस्था थी।
आज पदयात्रा के दौरान पूरे शहर में पर्चा वितरण की मुख्य भूमिका हिंद युवा प्रतिष्ठान के युवा साथियों ने निभाई। उनका प्रयास सराहनीय रहा। इस कार्य में विशेष रूप से योगदान देने वाले युवा साथी आयुष द्विवेदी, भास्कर शर्मा,आदित्य जायसवाल, विमल यादव, गोपाल कश्यप, अभिषेक विश्वकर्मा, इंद्रजीत यादव, अनुराग वर्मा, निखिल द्विवेदी शामिल थे ।
प्रमुख प्रतिभागी
भूपेश भूषण (युवा प्रकोष्ठ संयोजक), मिहिर प्रताप दास (उड़ीसा सर्वोदय मंडल अध्यक्ष), नंदलाल मास्टर (पदयात्रा आयोजन समिति संयोजक), श्यामधर तिवारी (सत्यमेव जयते), सतीश मराठा (हरियाणा), सरिता बहन (विनोबा आश्रम, गागोदा), सचिन (राष्ट्रीय युवा संगठन), दिवाकर, ए. आर. पलानीसामी, श्रीनिवासन (तमिलनाडु), डॉ. जीतेन नंदी, काजल मुखर्जी (पश्चिम बंगाल), विद्याधर, जोखन यादव, सिस्टर फ्लोरीन, निधि,अंतर्यामी बरल, जगदीश कुमार (पूर्व प्रदेश संयोजक, राजस्थान), समाजवादी जन परिषद के ओडिशा प्रदेश अध्यक्ष राज किशोर तथा सुमंत सुनानी, अनोखेलाल, ज्ञानेंद्र कुमार ( जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी), संजीव सिंह, धनंजय सिंह,सतेंद्र सिंह, राबिया बेगम, गौरव पुरोहित,
हिंद युवा प्रतिष्ठान से आयुष द्विवेदी, भास्कर शर्मा,आदित्य जायसवाल, विमल यादव, गोपाल कश्यप, अभिषेक विश्वकर्मा, इंद्रजीत यादव, अनुराग वर्मा और निखिल द्विवेदी
विवेक यादव, विवेक मिश्रा, सौरभ त्रिपाठी, सवाई सिंह जयपुर, आसमा आदिवासी, विकास कुमार, ईश्वरचंद्र (सामाजिक कार्यकर्ता), अंकित मिश्रा (मध्य प्रदेश सर्वोदय मंडल सचिव), राजित द्विवेदी (विदिशा), चंदन पाल, सोमनाथ रोड़े, रामधीरज (उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल अध्यक्ष), अरविंद कुशवाह एवं अरविंद अंजुम (सर्व सेवा संघ मंत्री) आदि।

राहुल यादव ‘साँचिया – सच की आवाज’ के सह संपादक हैं।