बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर: एक युगद्रष्टा समाज सुधारक

अनुरोज विजय भारत के इतिहास में अनेकों महापुरुष हुए हैं जिन्होंने समाज, संस्कृति और राष्ट्र निर्माण में अमूल्य योगदान दिया। परंतु उन सबमें एक नाम ऐसा है जो न केवल सामाजिक क्रांति का प्रतीक है, बल्कि आधुनिक भारत के संवैधानिक ढांचे का शिल्पकार भी है — वह नाम है डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर। 14 अप्रैल […]

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Rahul Sankrityayan, the truth seeker

धर्म मनुष्य की मानसिक दासता का समर्थक है : राहुल सांकृत्यायन

गणेश कछवाहा “हमें अपनी मानसिक दासता की बेड़ी की एक-एक कड़ी को बेदर्दी के साथ तोड़कर फेंकने के लिए तैयार रहना चाहिए। बाहरी क्रांति से कहीं ज़्यादा ज़रूरत मानसिक क्रांति की है। हमें आगे-पीछे, दाहिने-बाएं दोनों हाथों से नंगी तलवारें नचाते हुए अपनी सभी रूढ़ियों को काटकर आगे बढ़ना होगा।” … “रूढ़ियों को लोग इसलिए […]

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Hindutva communal mentality versus democratic and secular forces.

हिंदुत्ववादी सांप्रदायिक मानसिकता बनाम जनतांत्रिक तथा धर्मनिरपेक्ष ताकतें

राजेन्द्र शर्मा भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम, देश की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी है। स्वाभाविक रूप से उसकी 24वीं राष्ट्रीय कांग्रेस ने देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह राष्ट्रीय कांग्रेस 2 से 6 अप्रैल तक, तमिलनाडु में मदुरै शहर में संपन्न हुई। कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कांग्रेस, पार्टी का सर्वोच्च निकाय […]

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American tariffs and their impact on the world.

मेहनतकशों पर विश्वव्यापी हमला

प्रभात पटनायक, अनुवाद : राजेंद्र शर्मा परवर्ती पूंजीवाद (Late capitalism) के अंतर्गत मेहनतकश जनता पर ऐसा हमला हो रहा है, जो आरंभिक पूंजीवाद के हमले की याद दिलाता है और यह हमला विश्वव्यापी है, जो सिर्फ तीसरी दुनिया में ही नहीं हो रहा है, बल्कि विकसित पूंजीवादी देशों में भी हो रहा है। यह हमला […]

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Trump's tariff war

विश्व टैरिफ युद्ध : क्या हम तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं?

संजय पराते ट्रंप के सत्ता में आने के बाद विश्व टैरिफ युद्ध शुरू हो चुका है। इस टैरिफ युद्ध ने भारत सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों को हिलाकर रख दिया है। खुद अमेरिका इससे अछूता नहीं है। मंदी और बेरोजगारी पसर रही है और ट्रंप की सनक के खिलाफ बड़े बड़े प्रदर्शन शुरू हो […]

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Vultures hovering over shared heritage.

साझा विरासत पर मंडराते गिद्ध और साजिश के पीछे की सियासत को समझने की जरूरत

जसविंदर सिंह जब एक ही तरह की घटना को बार-बार दोहराया जाए, हर बार घटना को एक ही तरीके से अंजाम दिया जाए, तो घटनाएं अचानक नहीं घटती ; उसके पीछे सोची समझी योजना होती है, साजिश होती है और इन साजिशों के पीछे एक सियासत होती है। मध्यप्रदेश का मालवा क्षेत्र आजकल इन्हीं साजिशों […]

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Differences between Jyotiraditya Scindia and Bharat Singh Kushwaha.

भाजपाई सांसद को भाजपा सांसद से ही खतरा!

संजय पराते आज बात मध्यप्रदेश पर, जहां एक गरीब भाजपाई सांसद को एक युवराज भाजपाई सांसद से ही खतरा है और उनकी यह शिकायत मीडिया में जोर-शोर से उछल रही है। पहले वाला सांसद ख़ांटी संघी है और दूसरा नवागत भाजपाई, लेकिन इसके पास अतीत के राजपाट का रौब है। बात संघ के मुख्यालय तक […]

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Murders of Journlist

हिंदुत्ववादी साम्प्रदायिकता और कारपोरेट के गठबंधन के मायने

बादल सरोज चर्चा में स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा को निशाना बनाकर किये जा रहे हमले हैं। बिना नाम लिए बनाई गयी पैरोडी की महीने भर पहले दी गयी प्रस्तुति को लेकर शिवसेना के सैनिक होने का दावा करने वाले गुंडे उस हैबिटैट सेंटर में तोड़फोड़ मचा चुके हैं, जहां यह कार्यक्रम हुआ था। कुणाल को […]

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आसान नहीं है डगर तीसरे टर्म की

राजेंद्र शर्मा संभवत: इसी बीच हासिल हुई प्रभावी जीतों से बढ़े हुए आत्मविश्वास के चलते, संघ-भाजपा राज ने आरएसएस के शताब्दी वर्ष में उसके पक्के एजेंडे को आगे बढ़ाने के जरिए अपनी वफादारी दिखाने के लिए, इस विधेयक को ठंडे बस्ते से बाहर निकाल लिया है। अब इस विधेयक को दोबारा लोकसभा में आगे बढ़ाए […]

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Muslim rulers and Indian films.

फिल्मों के बहाने समाज में नफरत के बीज बोने की साजिश

राम पुनियानी आज की सांप्रदायिक सोच राजाओं —हिंदू और मुस्लिम—को उनके धर्म के चश्मे से देखती है, न कि सत्ता और संपत्ति के लिए संघर्षरत शासकों के रूप में। जैसे-जैसे राजनीति में इतिहास का उपयोग बढ़ रहा है, सांप्रदायिक घृणा भी नई ऊंचाइयों तक पहुंच रही है। बीते कुछ वर्षों में इसके नए आयाम जुड़ […]

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