Government's indifference towards the Muslim community

मुस्लिम सेना अधिकारी महज सफल प्रतीक, इससे मुस्लिम समुदाय के प्रति सरकार की बेरूखी नहीं धुल जाएगी

अपूर्वानंद जिस समय दिल्ली में भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी दुनिया को बतला रही थीं कि भारत ने पाकिस्तान को 22 अप्रैल का जवाब दे दिया है, उसी समय भारत के एक कोने उरी में रहनेवाली फ़ातिमा पूछ रही थी कि वह अपने 3 बच्चों को लेकर कहां जाए? सोफ़िया क़ुरैशी मात्र एक […]

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चौंकाने और  डराने वाला सप्ताह! : इधर सूरज पाले का शोर, उधर अंधेरा पसरता चहुं ओर!!

बादल सरोज मई का दूसरा सप्ताह देश और समूचे भारतीय प्रायद्वीप के लिए जैसा था, वैसा कभी नहीं रहा। तीन दिन चला भारत-पाकिस्तान युद्ध – या वह जो भी था — क्यों था, क्या था, कैसे शुरू हुआ, कब खत्म हुआ, किसने कितना पाया, कितना खोया और गंवाया, दोनों तरफ के मोर्चों पर क्या घटा, […]

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Modi government is putting the country at stake

सेना की सुरक्षा और देश को दांव पर लगा रही है मोदी सरकार : जसविंदर सिंह

भोपाल। केंद्र में बैठी मोदी सरकार आरएसएस के हिंदुत्व के एजेंडे को देश पर जिस तरह से थोप रही है, उससे सेना की सुरक्षा और देश की एकता और अखंडता दोनों को दांव पर लगा रही है। यह आरोप माकपा के मध्यप्रदेश राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने आज यहां आयोजित एक पत्रकार वार्ता में लगाए। […]

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caste census

जाति जनगणना की सुध : तमाशा, झांसा या पांसा

बादल सरोज अपने कुनबे के संगपरस्तों, पक्के भक्तों और पाले पोसे एंकर–एन्करानियों तक को चौंकाने, हैरत में डालने और मुंह छुपाने के लिए कोना तलाशने की गत में पहुंचाते हुए मोदी सरकार के मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति (सीसीपीए) ने 30 अप्रैल को ऐलान कर दिया कि अगली जनगणना के साथ जाति आधारित जनगणना […]

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ऑपरेशन सिंदूर : एक पूर्व-सुनिश्चित नाकामी का रोजनामचा

राजेंद्र शर्मा जैसा कि आसानी से अनुमान लगाया जा सकता था, ऑपरेशन सिंदूर के अचानक पटाक्षेप के बाद, उसे ‘कामयाब’ साबित करने की विभिन्न स्तरों पर कोशिशें शुरू हो गयी हैं। बेशक, खुद प्रधानमंत्री ही नहीं, उनके बाद दूसरे-तीसरे नंबर के दावेदार राजनीतिक नेताओं ने भी, पहले चरण में चुप रह कर, इसके जबर्दस्त प्रयास […]

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इसे कहते हैं सेना को युद्ध की भट्टी में झोंकना!

संजय पराते जब बिना किसी सुविचारित नीति के चुनाव को नजर में रखकर युद्धोन्माद फैलाया जाता है और फिर जनता को संतुष्ट करने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को मजबूत करने के लिए युद्ध की ‘रचना’ की जाती है, तो उसका वही हश्र होता है, जो कल हमें दिखा। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पूरे देश […]

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people becoming victims of terrorism

हुए तुम दोस्त जिसके, दुश्मन उसका आसमाँ क्यूँ हो!!

बादल सरोज पिछले दस-आठ दिन जितने विरले घट-अघट इस देश और दुनिया ने देखे हैं, उतने इससे पहले कम ही देखे गए हैं, एक के बाद एक साथ तो पहले कभी भी नहीं देखे। पहला अघट 22 अप्रैल को भारत का स्विटज़रलैंड बताये जाने वाले कश्मीर के पहलगाम में घटा, जब मुट्ठी भर आतंकी आये, […]

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Terrorist Attack in Pahalgam

‘उन्हें’ नहीं पता कि ग़ुस्सा किस पर करें!

राजेंद्र शर्मा भाई ये गजब देश है। पहलगाम में आतंकवादी हमला हो गया। अट्ठाईस लोग मारे गए और डेढ़ दर्जन से ज्यादा गंभीर रूप से घायल। नाम पूछकर और धर्म देखकर, गोली मारी। फिर भी पब्लिक है कि ठीक से गुस्सा तक नहीं है। लोग गुस्सा भी हो रहे हैं तो बच-बचकर। और तो और, […]

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सामाजिक न्याय के शिल्पकार: बी. पी. मण्डल और भारत में सामाजिक बदलाव की क्रांति

राजेश कुमार यादव भारतीय लोकतंत्र की आत्मा केवल चुनावी प्रक्रिया में नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समता के विचार में निहित है। इस विचार को भारतीय संविधान में तो स्थान मिला, लेकिन इसके धरातलीय कार्यान्वयन में जिन व्यक्तित्वों ने निर्णायक भूमिका निभाई, उनमें बिन्देश्वरी प्रसाद मण्डल (बी. पी. मण्डल) का नाम सर्वोपरि है। वे एक […]

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बाबा साहब, भारतीय संविधान और मौजूदा खतरे

बादल सरोज डॉ. अम्बेडकर संविधान निर्माता माने जाते हैं। निस्संदेह वे ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन थे और विराट बहुमत से चुने गए थे। संविधान में उनकी विजन – नजरिये – का महत्वपूर्ण योगदान है। किन्तु उन्हें यहीं तक सीमित रखना उनके वास्तविक रूप को छुपाने की साजिश का हिस्सा बनना होगा। गाँव-गाँव में डॉ. अम्बेडकर […]

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