वाराणसी : बालिकाओं ने बाल विवाह के खिलाफ निकाली रैली

मिर्जामुराद। लोक समिति वाराणसी और आशा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में सेवापुरी ब्लाक के करधना (भटपुरवां) गांव में बुधवार को बालिका महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सेवापुरी ब्लाक के दर्जनों गांव से सैकड़ों किशोरी लड़कियों ने भाग लिया। लड़कियों ने कन्या भ्रूण हत्या,यौन उत्पीड़न,दहेज़,बाल विवाह के खिलाफ गांव में जोरदार रैली निकाली। रैली […]

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गुलशन यादव-सामजिक न्याय का सिपाही या इनामी बदमाश

गुलशन यादव को इनामी अपराधी घोषित किए जाने का फैसला प्रशासनिक कार्रवाई से ज़्यादा सत्ता और राजा भैया की साज़िश का नतीजा प्रतीत होता है, क्योंकि जिन परिस्थितियों में यह निर्णय लिया गया, वे साफ़ तौर पर लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को रास्ते से हटाने की परंपरा को दोहराते हैं। गुलशन यादव की पहचान क्षेत्र […]

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सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी

राजीव यादव गीतकार शैलेंद्र की जयंती पर विशेष जिन्दगी के मायने जिसने आखों से देख अपने जेहन और कलम से अपने गीतों में उकेरा एक ऐसा ही नाम शैलन्द्र का है। ‘तू जि़न्दा है तो जि़न्दगी की जीत में यकीन कर, अगर कहीं है तो स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर’ 1950 में लिखे इस […]

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हिंदुत्व के दर्शन में ही समाहित है नस्लीय और लैंगिक घृणा

संजय पराते संघी गिरोह का हिटलरी राष्ट्रवाद! हमारे राष्ट्रगान के रचयिता कविवर रविंद्रनाथ ठाकुर (टैगोर) ने एक बार कहा था — “नेता जब अपने दल का झंडा पकड़कर गांव और शहर की गलियों में घुस नहीं पाता, तब अपने हाथों में राष्ट्र का झंडा पकड़ लेता है, ताकि जनता उसे ही राष्ट्र समझने की गलती […]

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क्या आप दिलो-दिमाग से स्वतंत्र होने का वजूद महसूस करते हैं ..?

शूद्र शिवशंकर सिंह यादव स्वतंत्रता के 78 साल पूरा होने पर देश के सभी भारतवासियों को इस शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाए, लेकिन अफसोस के साथ। इन 78 सालों में देश की प्रगति और परिस्थितियों को देखते हुए स्वतंत्रता से पहले और बाद की परिस्थितियों पर संक्षेप में प्रकाश डालना उचित समझता हूं। […]

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India was divided on the basis of secularism and not religion

भारत का बटवारा धर्म नहीं धर्मनिरपेक्षता के आधार पर हुआ था

शाहनवाज़ आलम यह बात एक आम धारणा का रूप ले चुकी है कि देश का बटवारा धर्म के आधार पर हुआ था। इस धारणा से दो तर्क मजबूत होते हैं। पहला कि भारत एक हिन्दू आबादी वाला देश था और उसकी अल्पमत मुस्लिम आबादी ने इस्लाम के नाम पर अपना हिस्सा ‘पाकिस्तान’ ले लिया। इसलिए […]

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धर्म, राजनीति और जातीय ध्रुवीकरण के चौराहे पर पीडीए

अखिलेश यादव के गृह प्रवेश और ब्राह्मणों के निष्कासन की घटना सिर्फ “सवर्ण बनाम पीडीए” नहीं, बल्कि “राजनीतिक वर्चस्व बनाम धार्मिक स्वतंत्रता” की नई बहस को जन्म दे रही है। कुमार विजय उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गई है, जहां धार्मिक कर्मकांड, जातीय पहचान और राजनीतिक विचारधारा की […]

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You will soon feel ashamed to speak English

शर्म तो ज्ञान पर आएगी, न कि अंग्रेज़ी पर!

अरुण माहेश्वरी 19 जून के ‘टेलिग्राफ’ के अनुसार अमित शाह ने कहा है कि लोग अंग्रेज़ी बोलने से जल्द ही शर्म करेंगे ; अर्थात् हमारे अनुसार, लोग अपने ज्ञान और प्रश्न उठाने की क्षमता पर शर्म करेंगे! हम उनके इस कथन को एक तानाशाह के ‘आज्ञापालक समाज’ के गठन का सपना कहेंगे। ‘आज्ञापालक समाज’ एक […]

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा नई शिक्षा नीति खारिज, अब वास्तविक विकल्प पर विचार का समय

रामदास प्रीनी शिवनंदन मई 2025 में तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करने की मांग करने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने का स्वागत किया जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहा है कि वह राज्यों को नई शिक्षा नीति लागू करने के […]

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Operation Sindoor

आखिर क्यों जरूरी है संसद का विशेष सत्र ?

एम ए बेबी, अनुवाद : संजय पराते ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ‘विराम’ के बाद सरकार द्वारा तथाकथित ‘राजनयिक पहुंच’ के तहत भेजे गए सभी सात संसदीय प्रतिनिधिमंडल वापस आ गए हैं। अपनी गंभीर आपत्तियों और सवालों के बावजूद, सीपीआई(एम) ने सरकार के अनुरोध को स्वीकार किया और इनमें से एक प्रतिनिधिमंडल में भाग भी लिया। सरकार […]

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