वाराणसी राजघाट से दिल्ली राजघाट तक की पदयात्रा
प्रतापगढ़। ‘एक कदम गांधी के साथ’ पदयात्रा ऐतिहासिक कालाकांकर पहुंची जहां पर पदयात्रियों ने कॉर्पोरेट शोषण के विरोध में हुंकार भरी। कालाकांकर का इतिहास गौरवशाली रहा है लेकिन विशेष रूप से यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है।
कालाकांकर का इतिहास गौरवशाली रहा है लेकिन विशेष रूप से यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है। यहां के राजपरिवार ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सक्रिय योगदान दिया, और यह क्षेत्र महात्मा गांधी के आंदोलनों का महत्वपूर्ण केंद्र बना।
बापू 14 नवम्बर 1929 को कालाकांकर नरेश राजा अवधेश सिंह के बुलावे पर यहाँ पहुँचे जहाँ उन्होंने ‘गांधी चबूतरा’ पर विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। यह घटना स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का प्रतीक बनी, जिसमें ब्रिटिश कपड़ों का बहिष्कार कर स्वदेशी आंदोलन की लहर चल पड़ी।
असहयोग आंदोलन के दौरान कालाकांकर और आसपास के गांवों में किसानों ने न्याय के लिए ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार कर दिया और “अपना पंचायत, अपनी अदालत” की राह अपनाई। यह कदम असहयोग आंदोलन का एक सशक्त कदम था।
इसके बाद प्रतापगढ़ ज़िले में कई जगहों पर सत्याग्रह शिविर लगे, जहाँ स्वयंसेवकों को सिखाया जाता था कि जेल जाने से न डरें, ब्रिटिश अधिकारी के सामने झुकना नहीं है, खादी पहनना और चरखा चलाना राष्ट्रधर्म है। कई मौकों पर ब्रिटिश प्रशासन ने इन सभाओं को तोड़ने की कोशिश की, पर कालाकाकर जैसे गाँवों के नौजवानों ने डंडे खाने के बाद भी सभा नहीं छोड़ी।
पदयात्रियों ने कालाकांकर में उस ऐतिहासिक स्थल पर पहुंचकर बापू को श्रद्धांजलि अर्पित की जिसके बाद एक सभा का आयोजन हुआ जिसमें वक्ता प्रियेश, चंदन पाल (राष्ट्रीय अध्यक्ष सर्व सेवा संघ), रामधीरज (यात्रा के संयोजक और उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल अध्यक्ष), एडवोकेट अर्चना, अनुज सोनकर (परियावाँ क्षेत्र पंचायत सदस्य) ने विदेशी सामानों के बहिष्कार के आंदोलन को याद किया ।
कार्यक्रम के दौरान कॉर्पोरेट लूट और शोषण के मुद्दे को लोगों के सामने रखा और अमेरिकी और चीन की मुख्य मल्टीनेशनल कंपनियों के उत्पाद की होली जलाई और लोगों से इन कंपनियों के बहिष्कार की अपील की और ग्रामीणों के साथ स्वदेशी आंदोलन को याद किया। इस दौरान लोगों से यह आवाह्न किया कि गांधी के रास्ते से ही कॉर्पोरेट लूट को रोका जा सकता है। वक्ताओं ने साथ ही इस ऐतिहासिक स्थल की दयनीय स्थिति पर भी दुःख व्यक्त किया और बताया जो समाज अपने धरोहरों को सहेज नहीं सकता उसका वर्तमान खंडहर हो जाता है।
इसके बाद पदयात्रा कालाकांकर से परियावा की ओर आगे बढ़ी। क्षेत्र पंचायत सदस्य अनुज सोनकर ने अपने आवास पर पदयात्रियों के लिए भोजन और विश्राम की व्यवस्था की।
स्कूली छात्राओं ने बढ़ाया पदयात्रियों का मनोबल
दोपहर बाद यात्रा परियावा से चलकर आगे बढ़ी, जहाँ शंभूनाथ यादव इंटर कॉलेज के छात्रों, शिक्षकों और ग्रामीणों ने यात्रियों का स्वागत किया तथा कुछ दूरी तक उनके साथ भी चले। विशेष रूप से विद्यालय की छात्राओं ने बढ़-चढ़कर उत्साह दिखाया, पदयात्रियों के साथ नारे लगाते हुए आगे बढ़ी। रास्ते में कई स्थानों पर पदयात्रियों का गर्मजोशी से स्वागत भी हुआ ।

कार्यक्रम में पदयात्री अरविंद कुशवाहा, अरविंद अंजुम, रामधीरज, सोमनाथ रोड़े, रमेश दाने, शिव, लता ताई, बेबी वाईकर, माया ढंडे, , अनिल, मुस्तफा, किरण, रेणु शामिल हुए। इसके अलावा नंदलाल मास्टर, श्यामधर तिवारी, सरिता बहन, डॉ. जीतेन नंदी, ध्रुव भाई, दीनदयाल चौधरी, विद्याधर, जोखन यादव, सिस्टर फ्लोरीन, निधि,अंतर्यामी बरल, जगदीश कुमार, समाजवादी जन परिषद के ओडिशा प्रदेश अध्यक्ष राज किशोर तथा सुमंत सुनानी, अनोखेलाल,, गौरव पुरोहित, विवेक मिश्रा, सौरभ त्रिपाठी, अलीबा, प्रवीण वर्मा, नीरज राय, नितिन कुमार, राहुल शर्मा, विकास कुमार, ईश्वरचंद्र, , महेश भाई, माणिकचंद, आर्यभट्ट महंत, सचिन, शिराज़ अहमद और स्थानियों समेत 90 से अधिक लोग मौजूद रहे।
स्थानीय लोगों में अर्चना , पंकज त्रिपाठी, मोहम्मद हाशिम, वीके शुक्ला, शिव प्रताप, इंद्रेश, रामविलास, ललित आदि शामिल हुए।
विज्ञापन


राहुल यादव ‘साँचिया – सच की आवाज’ के सह संपादक हैं।