जस्टिस पार्थसारथी चटर्जी को भाजपाईयों द्वारा हत्या की धमकी पर सुप्रीम कोर्ट का स्वतः संज्ञान न लेना शर्मनाक
लखनऊ। देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई का उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सार्वजनिक तौर पर उन्हें मेहनती और शक्तिशाली कहकर तारीफ करना उनके पद की गरिमा के अनुरूप नहीं था। उनके इस आचरण से उनके पद की निष्पक्षता पर लोगों का संदेह बढ़ेगा, जो डीवाई चंद्रचूड़, एसए बोबड़े और यूयू ललित के कारण पहले से ही संकट में है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सत्ता पक्ष से जुड़े गुंडों द्वारा जजों को जान से मारने की धमकी देने पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए जो कोलकाता हाईकोर्ट के जज पार्थसारथी चटर्जी के मामले में सीजेआई बीआर गवई ले पाने में असमर्थ साबित हुए हैं।
ये बातें कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 198 वीं कड़ी में कहीं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुस्लिम समुदाय और पैगंबर मुहम्मद साहब के खिलाफ़ नफ़रती पोस्ट करने वाली बंगाल की शर्मिष्ठा पनोली को जमानत न देने वाले कोलकाता हाईकोर्ट के जज पार्थसारथी चटर्जी के खिलाफ़ भाजपा और आरएसएस से जुड़े गुंडों ने सोशल मीडिया पर उनकी हत्या करने की धमकी वाले पोस्ट लिखे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट अपने जज को मिलने वाली हत्या की धमकी पर भी स्वतः संज्ञान नहीं ले पाया। जिससे जनता में यह संदेश गया कि सुप्रीम कोर्ट जब अपने जजों की सरकार से जुड़े गुंडों से रक्षा नहीं कर सकता तो आम लोगों की रक्षा कैसे कर पाएगा।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भी देश ने देखा था कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर देश के अंदर गृह युद्ध कराने का आरोप लगाया लेकिन मौजूदा मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने उस मामले में भी भाजपा सांसद के खिलाफ़ कार्यवाई के लिए डाली गयी याचिका को यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि ‘हमारे कन्धे बहुत मजबूत हैं’। यह तर्क कुछ ऐसा ही था जैसे किसी पीटने वाले दबंग आदमी को सज़ा देने के बजाए कोई कहे कि हमें चाहे जितना पीटिये हमारा पीठ बहुत मजबूत है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मौजूदा मुख्य न्यायाधीश द्वारा अपने पूर्ववर्ती समकक्ष पर हमला करने वाले सत्ताधारी दल के सांसद के खिलाफ़ कोई कार्यवाई नहीं करने से यही संदेश गया है कि वो सरकार संरक्षित गुंडा तत्वों के खिलाफ़ कोई एक्शन लेने का साहस नहीं दिखा पा रहे हैं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि एक कार्यक्रम में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में सीजेआई का यह कहना कि योगी बहुत मेहनती और शक्तिशाली मुख्यमंत्री हैं, उनकी निष्पक्षता पर संदेह पैदा करता है। क्या सीजेआई को यह नहीं पता कि बुल्डोज़र से घर गिराने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक के बावजूद उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाएं लगातार होती रही हैं। उसी तरह यह भी सवाल उठता है कि क्या सीजेआई यह नहीं जानते कि योगी आदित्यनाथ ने सीएम बनते ही अपने खिलाफ़ दंगा, हेट स्पीच, आगजनी जैसे मुकदमों में ख़ुद को क्लीन चिट दे दिया था। उन्होंने कहा कि सीजेआई जस्टिस बीआर गवई जी के बयान से यह संदेश गया है कि वो उसे शक्तिशाली मुख्यमंत्री मानते हैं जो क़ानून को नहीं मानता।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भाजपा और आरएसएस से जुड़े तत्वों द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ़ विपक्ष के व्यक्तियों द्वारा की गयी तार्किक आलोचनात्मक टिप्पणीयों पर एफआईआर दर्ज करा दिया जाना और निचली अदालतों के जजों द्वारा जमानत ख़ारिज कर दिया जाना अब आम हो चला है। जो साबित करता है कि भाजपा सरकार न्यायपालिका के एक हिस्से के राजनीतिक दुरुपयोग के बल पर अपने खिलाफ़ उठ रहे आक्रोश को दबाना चाहती है। उन्होंने कहा कि हाल के फैसलों में यह अजूबा तर्क भी जजों ने दिया है कि पीएम जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति पर अपमानजनक टिप्पणी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि यह संविधान या भारतीय दंड विधान में कहीं पर भी नहीं लिखा है कि कोई पीएम के खिलाफ़ नहीं बोल सकता। वैसे ही यह भी कहीं नहीं लिखा है कि सेना पर तार्किक सवाल नहीं उठाया जा सकता। उन्होंने कहा कि ऐसे जजों की भाषा में आरएसएस की तानाशाही थोपने की मंशा आसानी से पहचानी जा सकती है। जिसके खिलाफ़ अवाम को मुखर होकर बोलना पड़ेगा।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मौजूदा मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के समक्ष वक़्फ़ संशोधन क़ानून और पूजा स्थल अधिनियम जैसे अहम मुद्दे आएंगे जिसपर आने वाले फैसलों से देश का भविष्य तय होगा। इसलिए उनके किसी भी टिप्पणी का राजनीतिक मुल्यांकन किया जाना बहुत ज़रूरी है। यह भी नहीं भूला जा सकता कि वो दलित वर्ग को मिलने वाले आरक्षण के अंदर बटवारे के के पक्ष में सहमति दिखा चुके हैं, जो आरएसएस और भाजपा का पुराना राजनीतिक एजेंडा रहा है।
शाहनवाज़ आलम राष्ट्रीय सचिव अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा जारी
